इस शोध पुस्तक में प्रमाणित किया गया है कि सृष्टि में मनुष्य की उत्पत्ति भारत मे हुई व यहाँ से भारतीय आर्य विश्व मे फैलते गए तथा स्थान स्थान पर प्रथम बस्तियाँ बसाते चले गए। अर्थाथ विश्व मे जितने भी देश हैं उनके प्रथम व प्राचीनतम निवासी भारतीय आर्य ही थे ।
पुस्तक में सृष्टि के प्रथम में मनुष्य उत्पति भारत मे हुई, प्रथम उत्पन्न हुए मनुष्यो को ईश्वरीय वाणी वेद ज्ञान मिला, वर्ण व्यवस्था की वास्तविक स्थति आदि का प्रमाणिक वर्णन किया गया है।
विश्व की प्राचीनतम 17 देशो / खण्डों की की सभ्यता का वर्णन करते हुए यह सिद्ध किया गया है कि उनको भारतीय आर्यो ने ही बसाया था।
उक्त शोध ग्रंथ में 131 पुस्तको की सहायता ली गयी है जिनमे 40 पुस्तके विदेशी विद्वानों द्वारा लिखित है।
उक्त पुस्तक द्वारा यह स्पष्ट होता है कि समस्त विश्व के जन भारतीय आर्यो के ही वंशज हैं तथा भारतीय जन, वेद ज्ञान, संस्कृत भाषा, भारतीय सभ्यता ही मात्र, विश्व मे प्राचीनतम हैं।
ऋषयः खलु कदाचिच्छालीना यायावराश्च,
ग्राम्यौषध्याहाराः सन्तः साम्पन्निका मन्दचेष्टाश्च,
नातिकल्याश्च प्रायेण बभूवुः।
ते सर्वा समितिकर्तव्यतानामसमर्थाः,
सन्तो ग्राम्यवासकृतमात्मदोषं मत्वा,
पूर्वनिवासमपगतग्राम्यदोषं शिवं पुण्यमुदारं।
मेध्यमगम्यसुकृतिर्भिगङ्गाप्रभवममरगन्धर्व-
किन्नरानुचरितमनेक रत्ननिचयमचिन्त्याद्भुतप्रभवं,
ब्रह्मर्षिसिद्धचरणानुचरितं दिव्यतीथै्रषधि।
प्रभवमतिशरण्यं हिमवन्तममराधिपतिगुप्तं,
जग्मर्भृग्वड़िगरोअत्रिवसिष्ठकश्यपागस्त्यपुलस्त्य-
वामदेवासितगौतमप्रभृतयो महर्षयः।। (चरक संहिता, चिकित्सास्थान, रसायनध्याये, चतुर्थःपाद-3)
आशय यह है कि बहुत दिन तक आर्य लोग हिमालय पर रहे। फिर उन्होने हिमालय से उतर कर भूमि की खोज की। जिस रास्ते से वे आये उसका नाम हरद्वार रखा। यंहा आकर वे कुछ दिन तो रहे पर जलवायु खानपान के दोष से बीमार हो कर फिर अपने मूल स्थान हिमालय की ओर लौट गये, परन्तु कुछ काल बाद वे फिर वहाँ आये। अबकी बार उन्होने यहाॅं के जंगलों को काट- काट कर मैदानों को बसने योग्य बनाया और हरद्वार, कुरूक्षेत्र और सरस्वती नदी से लेकर सदानीरा तक जंगलों को जलाकर वहाॅं बस गये और इस क्षेत्र का नाम आर्यावत्र्त रखा।
विश्व में जो भी प्राचीन संस्कृति व सभ्यता पाई जाती है उनमे बहुत सारे ऐसे प्रमाण उपलब्ध होते है, जिनसे समझा जा सकता है की यह सभी सभ्यताएं भारतीयों द्वारा बसाई गयी थी। कुछ आधारतत्व प्रमाण निम्न है
अमेरिका के प्राचीन मूल निवासियों पर विचार करने पर यह तथ्य सामने आते है की अमेरिका खंड का मेक्सिको में 'मय' सभ्यता के लोग सहते थे, जिसको वर्तमान में 'माया' सभ्यता के नाम से जाना जाता ह। मय जाती के लोग भारत से ही गए थे इसके प्रमाण कश्यप-दिति के वंश के मयासुर या मय दानव से मिलता है। मय दानव का कैलाश पर्वत के उत्तर में कोंच गिरी को लांघकर मैनाक पर्वत पर महल था, जिसे उसने स्वयं अपने लिए बनाया थ। वाल्मीकि रामायण में भी इसका उल्लेख है
मिस्र देश भारतीयों ने ही बसाया इसके और भी निम्न अकाट्य प्रमाण हैं। मिस्र देश के वासी अपने को सूर्यवंशी कहते हैं, सूर्य की पूजा करते हैं और मनु को मेनस के नाम से अपना प्रथम राजा मानते हैं जो कि सूर्य के पुत्र हैं और उनका नाम मनु वैवस्वत है।
अंग्रेजी में जिसे चंगेज खान कहते हैं उसका वास्तविक नाम है जिन्गीश कगान ,जिन्गीश कगान भारतीय किरात कबीले का था । महाकाल का भक्त था उसकी समाधि पर शिव जी का त्रिशूल गडा हुआ है ।।
मंगोलिया में संस्कृत में मंत्र धार्मिक स्थलों पर लिखे मिलते है तथा गंगा जल व रेती की बहुत मान्यता है । भारतीयो को विशेष सम्मान से देखा जाता है
पुस्तक के अध्ययन से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि विश्व सभ्यताओं का जनक भारत ही रहा है । विद्वान लेखक ने अमेरिका खंड, अफ्रीका, मिस्र देश , मेसोपोटामिया, यूनान प्रदेश, यूरोप खंड , अरब प्रायद्वीप, ईरान देश, मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता, चीन , मंगोलिया, जापान, बर्मा, श्याम देश या थाईलैंड ,कंबोडिया, चंपा या वियतनाम, मलेशिया आदि के बारे में ऐसी सामग्री उपलब्ध कराई है जिससे पता चलता है कि इन सबका पूर्वज भारत ही है। Read More
आपके द्वारा भेंट स्वरुप प्रेषित ग्रन्थ 'विश्व सभ्यताओं का जनक: भारत' प्राप्त करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। भारतीय सभ्यता को विश्व की सभ्यताओं क जनक के रूप में प्रमाणित करने के लिए आपने जो तथ्य संकलित किये है और जिस तरह का प्रयास किया है, वह अत्यंत सराहनीय है। इस भेंट के लिए में आपके प्रति ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ। Read More
आपने इस ग्रन्थ में मनुष्य की उत्पत्ति तथा मानवी सृष्टि का आरम्भ, चतुर्वेदो में प्रस्तुत ज्ञान का विश्लेषण, वेदो ने निश्चित की गयी वर्णव्यवस्था तथा उसका महत्त्व इत्यादि विषयों का समर्पक तथा विशेष अभ्यास प्रस्तुत किया है, जो विश्व के अन्य प्रांतीय तथा धार्मिक सभ्यताओं की तुलना में भारत भूमि का श्रेष्ठतम प्रमाणित करता है। Read More
एम डी प्रमुख-अखिल विश्व गायत्री परिवार कुलाधिपति-देव संस्कृति विश्विद्यालय निदेशक- ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान संपादक-अखण्ड ज्योति
'विश्व सभ्यताओं का जनक :भारत' शोध ग्रंथ के साथ आपका भाव भरा पत्र मिला । शोध ग्रंथ में निश्चित रूप से आपने बहुत मेहनत की है -बहुत ही सुंदर प्रयास है। 35 विदेशी पुस्तको सहित 131 पुस्तकों का संदर्भ लिया है। इसमें आपने पूज्य गुरुदेव रचित ग्रंथ समस्त विश्व को भारत के अजस्त्र अनुदान का भी संदर्भ दिया है।
संभागीय विपणन अधिकारी ( से.नि. ) खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश
डॉ शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने योग्य है,ऐसा मेरा मंतव्य है । मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक समाज और विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी सिद्ध होगी ।
प्रसिद्ध वैदिक विद्वान संरक्षक व सम्पादक परोपकारी पत्रिका परोपकारिणी सभा अजमेर
समीक्षय कृति के लेखक डॉ. अखिलेश चंद्र शर्मा कृषि वैज्ञानिक हैं।डॉ. शर्मा द्वारा नये-नये बीजो का निर्माण एवं परिष्कार कर्म के साथ सुदीर्घकाल तक अनवरत किये अध्यन एवं शोध दृष्टि का प्रतिफल प्रस्तुत कृति है। डॉ. शर्मा ने मनुष्य की उत्पत्ति तथा वेदज्ञान पर प्रकाश डालते हुए महर्षि दयानन्द के मत जिसमे सृष्टि उत्पति त्रिविष्टप अर्थात -तिब्बत को ही स्वीकार किया है।
प्रसिद्ध इतिहासकार मेरठ
वर्तमान काल भारत की प्राचीन संस्कृति के अभ्युदय का सही समय है और इनमें एक और नया नाम जुड़ गया है ‘विश्व सभ्यताओं का जनक: भारत - एक शोध ग्रंथ’ नामक इस पुस्तक के रूप में जो प्राच्य विद्या शोध प्रकाशन, इंदौर द्वारा प्रकाशित की गई है। इसके लेखक डा. अखिलेश चंद्र शर्मा हैं जिन्होंने गहन प्रयास और शोध कर पाठकों के समक्ष उन तथ्यों और प्रमाणों का प्रकाशन किया है जो हमारी प्राचीन सभ्यता के लिए एक अवलंब प्रमाणित होंगे।
संस्कृत विभाग , मूलजी जेठा महाविद्यालय जलगाँव महाराष्ट्र
उपरोक्त शोध ग्रन्थ प्राप्त हुआ जिसके कलेवर को देखकर ही ऐसा लगा मानो यह ग्रन्थ ही अंतर्राष्ट्रीय दर्जे का है लगभग १३१ ग्रंथो का सन्दर्भ तथा १७ देशो का जो प्रामाणिक विवरण आपने दिया है वह वास्तव में अद्वितीय है , विद्वत्ता से युक्त शोधपूर्ण इस ग्रन्थ को पढ़ते ही अनेक भ्रम अपने आप ही दूर हो जाते है
संपादक : उगता भारत
पुस्तक के अध्ययन से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि विश्व सभ्यताओं का जनक भारत ही रहा है । विद्वान लेखक ने अमेरिका खंड, अफ्रीका, मिस्र देश , मेसोपोटामिया, यूनान प्रदेश, यूरोप खंड , अरब प्रायद्वीप, ईरान देश, मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता, चीन , मंगोलिया, जापान, बर्मा, श्याम देश या थाईलैंड ,कंबोडिया, चंपा या वियतनाम, मलेशिया आदि के बारे में ऐसी सामग्री उपलब्ध कराई है जिससे पता चलता है कि इन सबका पूर्वज भारत ही है।
मुख्यमंत्री, असम
आपके द्वारा भेंट स्वरुप प्रेषित ग्रन्थ 'विश्व सभ्यताओं का जनक: भारत' प्राप्त करके मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई। भारतीय सभ्यता को विश्व की सभ्यताओं क जनक के रूप में प्रमाणित करने के लिए आपने जो तथ्य संकलित किये है और जिस तरह का प्रयास किया है, वह अत्यंत सराहनीय है। इस भेंट के लिए में आपके प्रति ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति
आपने इस ग्रन्थ में मनुष्य की उत्पत्ति तथा मानवी सृष्टि का आरम्भ, चतुर्वेदो में प्रस्तुत ज्ञान का विश्लेषण, वेदो ने निश्चित की गयी वर्णव्यवस्था तथा उसका महत्त्व इत्यादि विषयों का समर्पक तथा विशेष अभ्यास प्रस्तुत किया है, जो विश्व के अन्य प्रांतीय तथा धार्मिक सभ्यताओं की तुलना में भारत भूमि का श्रेष्ठतम प्रमाणित करता है।
प्रमुख श्री वैदिक स्वस्ति पन्था न्यास (वैदिक एवं आधुनिक भौतिक विज्ञान शोध संस्थान ) वेद विज्ञान मंदिर,भागल भीम भीनमाल,जालोर राजस्थान
कुशलकामनोपरांत वेदितव्य है कि आप द्वारा प्रेषित स्वलिखित शोध ग्रंथ 'विश्व सभ्यताओं का जनक:भारत' प्राप्त हुआ ।मैंने इसका विहंगावलोकन किया, आपने ग्रंथ के लेखन में भूरीश्रम किया है। भारतीय संस्कृति व सभ्यता पर गर्व करने वाले अथवा इनका उपहास करने वाले कथित प्रबुद्ध वामपंथियों को एक बार इस ग्रंथ को अवश्य पढ़ना चाहिए ।
उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शिवाजी सेना
"विश्व सभ्यताओ का जनक :भारत" एक शोध ग्रंथ है । जिसे माननीय डॉ अखिलेश चंद शर्मा जी ने लिखा है। लेखक के द्वारा इस ग्रंथ में जो भी लिखा है वह प्रमाणित है । क्योंकि लेखक ने इस ग्रंथ को पुस्तको से शोध करके ही लिखा है ।
भीष्म स्कूल ऑफ इंडिक स्टडीज,पुणे
आपका भेजा हुआ “विश्व सभ्यताओं का जनक : भारत” शोध ग्रंथ पत्र के साथ प्राप्त हुआ I ग्रंथ का विषय पढ़कर ही बड़ी प्रसन्नता हुई I भारत के असली गौरवशाली इतिहास को हमेशा ही छुपाया गया और तथाकथित इतिहासकारोंने हमें मन में एक न्यूनता पैदा करनेवाला इतिहास पढाया I
स्वामी ओमानन्द सरस्वती पुरातत्व संग्रहालय गुरुकुल झज्जर (हरियाणा )
सत्यान्वेषक लेखक महोदय ने देश- विदेश के पक्षपात रहित मानसिकता वाले सत्यग्राही लेखकों के द्वारा उद्घाघाटित सत्य को सबके सम्मुख रखकर एक उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है कि, भारत ही विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं का जनक और आदि सोत्र रहा है ।
पूर्व कुलपति,महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्विद्यालय उज्जैन
विश्व सभ्यताओं के जनक: भारत शीर्षक से उपनिबद्ध ग्रन्थ प० अखिलेश चन्द्र शर्मा द्वारा प्राप्त हुआ। इस ग्रंथ का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि यह ऐसे 'चन्द्र हैं जिनका शीतल प्रकाश 'अखिल विश्व में व्याप्त है। अस्तु "यथा नामा तथा गुणः" फलित हो रहा है।