About Images

प्राच्य विधा शोध प्रकाशन

प्राच्य विधा शोध प्रकाशन का आरम्भ प्राच्य विधा पर किये जा रहे शोधों के प्रकाशन के लिए किया गया।

उलेखनीय है कि सत्य सनातन वैदिक धर्म सृष्टि के प्रथम से है। सृष्टि के प्रथम में ही ईश्वर द्वारा चार ऋषियो के ह्दय में चार वेदों का प्रकाश किया था। अतः समस्त वैदिक वांग्मय का मूलाधार वेद है, और समस्त ऋषियो की यह सर्वसम्मत मान्यता है कि वेद ज्ञान परमेश्वरोक्त होने से स्वतः प्रमाण एवं निभ्रांत है। इस वेद ज्ञान का ही अवलंबन एवं साक्षात्कार करके आप्त पुरूष, ऋषियो-मुनियो ने साधना एवम तप की प्रचण्डाग्नि में तप कर शुद्धान्त:करण से वेद के मौलिक सिंद्धान्तों को समझा और अनृषी लोगो की हित कामना से उस ज्ञान को ब्राह्मण, दर्शन, वेदांग, उपनिषद तथा धर्मशास्त्रों आदि गर्न्थो के रूप में सुग्रंथित किया।

यह संस्था उसी ज्ञान को सरल भाषा व राष्ट्र व समय की आवश्यकता नुसार विद्वानों द्वारा तैयार किये शोध गर्न्थो को प्रकाशीत करने के लिए प्रयत्नशील है। ऐसे छोटे छोटे प्रयास भारत को विश्वगुरु बनाने में सहायक होंगे।

प्राच्या विद्या शोध प्रकाशन के उद्देश्य

प्राच्य विधा पर सेमिनार/बेबीनार का आयोजन

जिज्ञासा समाधान।

शोध ग्रन्थ उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना।

शोधार्थियों की सहायता करना।